जैसा कि मेरे साथ प्रायः होता है, घूमने फिरने के कार्यक्रम एकाएक ही बनते हैं। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ, कह सकते हैं कि यह कुछ दुर्लभ अपवादों में से एक अपवाद था। पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त में मित्र मण्डली एकत्र हुई और बातों ही बातों में बात उठी कि कहीं घूमने फ़िरने का मामला बनाया जाए, ऐसा वैसा भी नहीं, बकायदा विदेशी रंग होना चाहिए मामले में। कुछेक सुझाव प्रस्ताव कमेटी के सामने प्रस्तुत हुए और उनमें से स्निग्धा का कोह सामुई (थाईलैण्ड) (Koh Samui, Thailand) का प्रस्ताव पारित हुआ।
संस्कार.....
On 28, Oct 2013 | 14 Comments | In Some Thoughts, कुछ विचार | By amit
कई लोगों को कहते सुना है कि संस्कार, बुद्धि आदि विरासत में नहीं मिलते। बुद्धि का तो कह नहीं सकता लेकिन संस्कार अवश्य विरासत में ही मिलते हैं। किसी भी बालक के पहले गुरु उसके माता पिता होते हैं। अच्छे बुरे को पहचानने का विवेक और उनमें अंतर समझ सकने योग्य संस्कार बालक को माता-पिता से ही मिलते हैं। उसके आस पास के लोग तो उसे प्रभावित करते ही हैं लेकिन माता-पिता की भूमिका अहम् होती है।
ई-बुक और उसमें विकल्प
On 11, Mar 2013 | 15 Comments | In Reviews, Some Thoughts, कुछ विचार, समीक्षाएँ | By amit
पिछले वर्ष मैंने ई-बुक्स के विषय में लिखा था कि कैसे आखिरकार कागज़ पर छपी किताबों का त्याग कर मैंने ई-बुक्स को अपनाया। उस समय कोई विकल्प उपलब्ध नहीं था, सिर्फ़ ऐमैज़ॉन (Amazon) का किण्डल (Kindle) ही ढंग का उपाय था। लेकिन किण्डल डिवाइस की जगह मैंने एण्ड्रॉय्ड टैबलेट को तरजीह दी, आखिर ऐमैज़ॉन किण्डल सॉफ़्टवेयर विण्डोज़ (Windows), मैक (Mac), एण्ड्रॉय्ड (Android), विण्डोज़ फोन (Windows Phone), आईफोन (iPhone), आईपैड (iPad) आदि सभी के लिए उपलब्ध है।
ओ भईया, क्यों दें लगान .....
On 05, Mar 2013 | 8 Comments | In Mindless Rants, फ़ालतू बड़बड़ | By amit
आमिर खान की लगान फिल्म में यह नारा था – ओ भईया क्यों दें लगान। वहाँ बात थी कि अंग्रेज़ हाकिमों को लगान क्यों दिया जाए जब उसके बदले में कुछ नहीं मिलता। तो ऐसे ही मन में आया कि आज के समय में हम टैक्स क्यों देते हैं? अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई में से एक हिस्सा टैक्स में देते हैं, जितनी अधिक मेहनत कर हम अधिक कमाते हैं उतना ही अधिक आयकर देते हैं। उसी तरह उस मेहनत की कमाई (जिस पर टैक्स ऑलरेडी दे चुके हैं) से कुछ खरीदते हैं तो सर्विस टैक्स और वैट (VAT) देते हैं। आखिर टैक्स देने से हमको क्या मिलता है?
स्मार्टफोन स्मार्टली चुनें.....
On 22, Feb 2013 | 11 Comments | In Some Thoughts, Technology, कुछ विचार, टेक्नॉलोजी | By amit
कोई महीना भर पहले जीतू भाई ने स्मार्टफोन और टैबलेट खरीदने पर एक पोस्ट ठेली थी, पढ़ के लगा कि धर्मार्थ इसको और चमकाया जा सकता है, इसलिए जन सेवा हेतु इस पोस्ट को ठेला जा रहा है। (यह कतई न समझा जाए कि वीरान पड़े ब्लॉग में रौनक करने के लिए पोस्ट ठेली गई है)
यदि स्मार्टफोन की बात की जाए, तो क्या है यह स्मार्टफोन? स्मार्टफोन एक ऐसा मोबाइल फोन होता है जो कि एक उच्चस्तरीय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित होता है और जिसमें फीचर फोन के मुकाबले अधिक कंप्यूटिंग क्षमता होती है।
बदलाव.....
On 23, Sep 2012 | 3 Comments | In Some Thoughts, कुछ विचार | By amit
कल मैं बुद्धिमान था इसलिए दुनिया को बदलना चाहता था, आज मैं ज्ञानी हूँ इसलिए स्वयं को बदल रहा हूँ
— जलालुद्दीन मुहम्मद रूमी